बिजय दत्त
असार ८ गते ।
जनकपुरधा : मोन पडैय अपन गाम
घर अङना वारि आ झारी
झाँखापर लटकल तरकारी
कटहर सीताफल शरीफा
केरा अरनेबा लताम
।
गाछ अछिनरे टोकक टोक
नहि छल ककरो कोनो रोक
खाइत खाइत छल मन अगधाइत
बम्मइ मालदह सिपिया आम
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बकरी भैंसी गाय आ माल
घास पगार पुआरक टाल
गिरहस्थीसऽ फुरसति कहाँ
नहि जाइछल विदेश आसाम
।
खरीहानमे पसरल पौर
जसबा मटरी आमाघौर
कमोद सतरिया गोलारत्ता
हरिणकेर बासमत्ती धान
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धान आँउस मरुआ आ कौनी
अन्हरोखेमे होइछल दौनी
सुतलेमे सुनाइ दैत छल
हौ रे हौ ठामे रे ठाम
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मसुरी मूङ आ उरीद खेसारी
सटका मारिकऽ राहैर झारी
सम्मत जरिते शुरु होइत छल
नून मिरचाइ ओरहा बदाम
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माए आ काकीक पहिरन नुआ
देखलैथ नहि भैँसुरजी धुआ
केकर साहस गाल बजाओत
आ रहत उघार उदाम
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छलै खुब बडका परिवार
जेठ छोट बिच शिष्टाचार
सुनिते पतनुकान होइ हम
बाबाके चटचट खराम।
बुढ पुरनीया दैया मैया
सब पडोसी काका भैया
हरिया बिल्टा ढोँढबा फेकना
परमेशरा सङ्गीके नाम ।
कबडी कबडी पुल्ली डण्डा
कहियो दाहा कहियो झण्डा
अल्लु चप कचरी आ बचका
मुरही झिल्लीके जलपान ।
ढोल नगारा पिपही तासा
अल्हा रुदल नाच तमाशा
गोबिन पूजा कारिख झूम्मर
किर्तन झाँकी आ अष्टयाम।
पुरुब पच्छीम उत्तर मठ
पुजारी भगताके ठठ
बौधी माइ महरानी थान
गामेमे छल चारुधाम ।
पेटक खातिर छी शहरमे
जीनगी डुबि रहल जहरमे
देह जीवैए एसी रुममे
लटकल अछि गामेमे प्राण ।