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४ जेष्ठ २०८१, शुक्रबार
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“मोन पडैय अपन गाम”

“मोन पडैय अपन गाम”

बिजय दत्त
असार ८ गते ।
जनकपुरधा : मोन पडैय अपन गाम
घर अङना वारि आ झारी
झाँखापर लटकल तरकारी
कटहर सीताफल शरीफा
केरा अरनेबा लताम

गाछ अछिनरे टोकक टोक
नहि छल ककरो कोनो रोक
खाइत खाइत छल मन अगधाइत
बम्मइ मालदह सिपिया आम

बकरी भैंसी गाय आ माल
घास पगार पुआरक टाल
गिरहस्थीसऽ फुरसति कहाँ
नहि जाइछल विदेश आसाम

खरीहानमे पसरल पौर
जसबा मटरी आमाघौर
कमोद सतरिया गोलारत्ता
हरिणकेर बासमत्ती धान

धान आँउस मरुआ आ कौनी
अन्हरोखेमे होइछल दौनी
सुतलेमे सुनाइ दैत छल
हौ रे हौ ठामे रे ठाम

मसुरी मूङ आ उरीद खेसारी
सटका मारिकऽ राहैर झारी
सम्मत जरिते शुरु होइत छल
नून मिरचाइ ओरहा बदाम

माए आ काकीक पहिरन नुआ
देखलैथ नहि भैँसुरजी धुआ
केकर साहस गाल बजाओत
आ रहत उघार उदाम

छलै खुब बडका परिवार
जेठ छोट बिच शिष्टाचार
सुनिते पतनुकान होइ हम
बाबाके चटचट खराम।

बुढ पुरनीया दैया मैया
सब पडोसी काका भैया
हरिया बिल्टा ढोँढबा फेकना
परमेशरा सङ्गीके नाम ।

कबडी कबडी पुल्ली डण्डा
कहियो दाहा कहियो झण्डा
अल्लु चप कचरी आ बचका
मुरही झिल्लीके जलपान ।

ढोल नगारा पिपही तासा
अल्हा रुदल नाच तमाशा
गोबिन पूजा कारिख झूम्मर
किर्तन झाँकी आ अष्टयाम।

पुरुब पच्छीम उत्तर मठ
पुजारी भगताके ठठ
बौधी माइ महरानी थान
गामेमे छल चारुधाम ।

पेटक खातिर छी शहरमे
जीनगी डुबि रहल जहरमे
देह जीवैए एसी रुममे
लटकल अछि गामेमे प्राण ।

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